Rajiv R. Srivastava

Tragedy

4.4  

Rajiv R. Srivastava

Tragedy

हिन्दी दिवस ...

हिन्दी दिवस ...

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हरदम हमने ही सहा है, सबकी हर मनमानी।

हिन्द देश में ही अब हिन्दी बन गई बेगानी॥

ये कैसा है दौर रे भैया, ये है कौन सा देश।

हिंदी भाषी लोगों को ये लगता जैसे परदेश॥

अंगरेजन के अधीन होते हर एक हिंदुस्तानी।

हिन्द देश में ही अब हिन्दी बन गई बेगानी॥

नीच दर्जे का समझा जाता हिन्दीभाषी समाज।

साख खोती जा रही जन्मस्थली में हिन्दी आज॥

जो न संभले तो कल हिंदी बन जाये कहानी।

हिन्द देश में ही अब हिन्दी बन गई बेगानी॥



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