दादा जी॰॰॰ 👴
दादा जी॰॰॰ 👴
खुशी हमारी, हम सबसे रूठी;
बचपन की प्यारी लाठी टूटी।
दरियादिल दादा की अब वो;
राह दिखाती उँगली भी छूटी॥
वेद, पुराण, रामायण, गीता;
जिनसे हम सबने था सीखा।
‘ज्ञानदान’ किया था जिसने;
गुणी, ज्ञानी, गुरुदेव सरीखा॥
अमृत जिनकी एक-एक वाणी;
डाँट थी जैसी कोई जड़ी-बूटी।
दरियादिल दादा की॰॰॰
उनको खोने का ग़म है लेकिन;
साथ ही साथ एक ख़ुशी भी है।
सदियों से रिसते रिश्तों में अब;
‘प्रेम’ की पनप रही टूसी भी है॥
जाते जाते भी दे गये वो ‘रासि’;
पारिवारिक गठबंधन की घुट्टी।
दरियादिल दादा की॰॰॰
ठगबंधन की अब गागर फूटे;
ये गठबंधन अब आगे ना टूटे।
आपस में सबके हो भाईचारा;
साथ ही किसी का दम ना घुटे॥
रहे सदा सलामत सदियों तक;
प्यारे परिवार की ‘प्रेम-कुटी’।
दरियादिल दादा की