Rajiv R. Srivastava

Abstract Tragedy Inspirational

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Rajiv R. Srivastava

Abstract Tragedy Inspirational

दादा जी॰॰॰ 👴

दादा जी॰॰॰ 👴

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खुशी हमारी, हम सबसे रूठी;

बचपन की प्यारी लाठी टूटी।

दरियादिल दादा की अब वो;

राह दिखाती उँगली भी छूटी॥


वेद, पुराण, रामायण, गीता;

जिनसे हम सबने था सीखा।

‘ज्ञानदान’ किया था जिसने;

गुणी, ज्ञानी, गुरुदेव सरीखा॥


अमृत जिनकी एक-एक वाणी;

डाँट थी जैसी कोई जड़ी-बूटी।

दरियादिल दादा की॰॰॰


उनको खोने का ग़म है लेकिन;

साथ ही साथ एक ख़ुशी भी है।

सदियों से रिसते रिश्तों में अब;

‘प्रेम’ की पनप रही टूसी भी है॥


जाते जाते भी दे गये वो ‘रासि’;

पारिवारिक गठबंधन की घुट्टी।

दरियादिल दादा की॰॰॰


ठगबंधन की अब गागर फूटे;

ये गठबंधन अब आगे ना टूटे।

आपस में सबके हो भाईचारा;

साथ ही किसी का दम ना घुटे॥


रहे सदा सलामत सदियों तक;

प्यारे परिवार की ‘प्रेम-कुटी’।

दरियादिल दादा की


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