हिन्दी दिवस ...
हिन्दी दिवस ...
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जैसे माँ-बहनों को शोभित करती माथे की बिन्दी।
वैसे ही मेरे देश को गर्वित करती मेरी प्यारी हिन्दी॥
स्वर व्यंजन के वर्णों से, शब्दों का बसता संसार।
बड़े छोटे के भाव से परे, अद्भुत आपस का प्यार॥
हर एक स्वर सुरसरि सा, हर ईक व्यंजन कालिन्दी।
वैसे ही मेरे देश को गर्वित करती मेरी प्यारी हिन्दी॥
