एक औरत...
एक औरत...
जिसने जन्मा सारा संसार,
जिसके अंतस प्यार ही प्यार।
जिसके आँचल तले फले,
तेरा मेरा, हम सबका परिवार॥
जिसकी आँखों में गहराई,
पनाह पाये जहां जग का गम।
मन जिसका अथाह समंदर,
दिल का दृश्य भी बड़ा विहंगम॥
ममता का वो एक सागर,
दुनिया में वो सब गुण आगर।
खुशियों की वो संवाहक,
स्वर्ग धरा पर वो पाती आदर॥
माँ बहन बेटी सहधर्मिणी,
देवकी सुभद्रा चारुमति श्रीरूपा।
अबला नहीं है नारी रासि,
दुर्गा काली कभी चण्डी स्वरूपा॥
