ज़िंदगी, ले चल मुझे
ज़िंदगी, ले चल मुझे
ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे, दूर कहीं।
जहां पर हो, ख़ुशियाँ भरपूर, वहीं॥
दूर कहीं, जहां हो, न कोई पाबंदी,
ना कोई नाराज़गी, या न रज़ामंदी;
ना राज कोई रासि, ना गोरखधंधा,
दिखावटी दुनिया वाली दस्तूर नहीं।
ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे,
बड़े छोटे का हो, ना भेद भाव कोई,
आदर सत्कार का, ना अभाव कोई;
जहाँ मिलती हो, इठलाती ज़मीं से,
ऊँची आसमाँ, लेकिं, मगरूर नहीं।
ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे,
जहां पर हो सुंदर, सजीला सवेरा,
दिनभर हो शीतल, हवा का बसेरा;
जहाँ पे हों शामें, सिन्दूरी सिन्दूरी;
रातें चाँद तारों के मद में चूर, वहीं।
ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे,
कल कल नदी, मीठी लोरी सुनाये,
प्रकृति जहां पर,हौले हौले सुलाये;
बिस्तर हरी मख़मली घांसें सजाये,
मिले जहाँ सपने में, कोहिनूर, वहीं।
ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे।
