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Rajiv R. Srivastava

Others

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Rajiv R. Srivastava

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ज़िंदगी, ले चल मुझे

ज़िंदगी, ले चल मुझे

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ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे, दूर कहीं।

जहां पर हो, ख़ुशियाँ भरपूर, वहीं॥

दूर कहीं, जहां हो, न कोई पाबंदी,

ना कोई नाराज़गी, या न रज़ामंदी;

ना राज कोई रासि, ना गोरखधंधा,

दिखावटी दुनिया वाली दस्तूर नहीं।

ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे,


बड़े छोटे का हो, ना भेद भाव कोई,

आदर सत्कार का, ना अभाव कोई;

जहाँ मिलती हो, इठलाती ज़मीं से,

ऊँची आसमाँ, लेकिं, मगरूर नहीं।

ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे,


जहां पर हो सुंदर, सजीला सवेरा,

दिनभर हो शीतल, हवा का बसेरा;

जहाँ पे हों शामें, सिन्दूरी सिन्दूरी;

रातें चाँद तारों के मद में चूर, वहीं।

ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे,


कल कल नदी, मीठी लोरी सुनाये,

प्रकृति जहां पर,हौले हौले सुलाये;

बिस्तर हरी मख़मली घांसें सजाये,

मिले जहाँ सपने में, कोहिनूर, वहीं।

ऐ ज़िन्दगी, ले चल मुझे।


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