हां मैं धोखेबाज हूं
हां मैं धोखेबाज हूं
हर रोज अपनी पत्नी
अपने बच्चे से कहता हूं
दो महीने बाद घर आऊंगा
झूठे दिलासे देकर
उन्हें ढांढस बंधाता हूं
कितना अभागा खुशियों से कोसों दूर
मैं आजाद हूं
हां हां मैं धोखेबाज हूं।।
बाबू के खूब सारे खिलौने
नये कपड़े लाऊंगा
त्योहार पर मिठाइयां और
तेरे गहने लाऊंगा।
पर जेब तो फटी है ये कैसे कहूं
इस बात का मैं स्वयं ही
एक राज़ हूं
हां हां मैं धोखेबाज हूं।।
ठगता हूं हर दिन उन्हें
वे सच मान खुश होते हैं
दिल फटता मेरा
कि कितने नादान है वो
जिम्मेदारियों का मुजरिम,
भरोसे का शिकार कर
मैं बन गया बाज हूं
हां हां मैं धोखेबाज हूं।।