ये प्रीत की पाती
ये प्रीत की पाती
ये प्रीत की पाती नाम तेरे
साथी मेरे,स्वीकार करो।
तन मन दे बैठा तुझको मैं
अब शीघ्र मेरा उद्धार करो।।
सुख चुकी मन की नदियां
सुख चुकी झरने सारे
लू के जोर ज्वर से साथी
लगे फ़सल मरने सारे।
सींच नेह के बरखा से
मेरा रोम-रोम संचार करो
ये प्रीत की पाती नाम तेरे
साथी मेरे,स्वीकार करो।।
लगता सांसें थम जाएगी
कौन इन्हें संभालेगा।
डूब गया गर बीच भंवर
फिर क्या माझी रह जाएगा।
मेरे अंत: की नैय्या को
इस तलहट से उस पार करो
ये प्रीत की पाती नाम तेरे
साथी मेरे,स्वीकार करो।।
लिख रहा हूंँ प्यारी प्यारी
नरम नरम उन कलियों को
घर आंगन चौबारा चौखट
और महकती गलियों को ।
भेज रहा हूंँ दिल अपना
मेरे साथी ना इन्कार करो
ये प्रीत की पाती नाम तेरे
साथी मेरे,स्वीकार करो।

