बेटी की बिदाई
बेटी की बिदाई
आज दिल रो रहा है
क्या अजीब ये सिलसिला है।
सींचा जिसे अपने खून से बीस साल....
आज दुनिया की रीत ने हमसे जुदा कर दिया है
क्या अजीब ये सिलसिला है।
जिसकी घुंघरू की आवाज इस आंगन में गूंजती थी..
आज वो आंगन वीरान पड़ा है।
जिसकी मुसकान से इस आंगन में फुल खिलता था....
आज वह फूल उससे बिछड़ के रो रही है।
यह कैसी रीत है ये कैसा रिवाज है....
अपने ही जिगर के टुकड़े को जुदा करना पड़ा है...
आज दिल रो रहा है....
क्या अजीब ये सिलसिला है।
