जैसे बीते तीन बरस
जैसे बीते तीन बरस
जैसे बीते तीन बरस ये
दशक तीन बीत जाएंगे
प्रेम पथिक है अधर मेरे
ये गीत तेरे ही गाएंगे।।
मुझको पागल कह लो मन से
या मेरा उपहास करो
सच है कि बस तुमको सोचुं
इतना तो विश्वास करो
प्यासे प्यासे नयन मेरे
तेरे ही राह निहारेंगे
प्रेम पथिक है अधर मेरे
ये गीत तेरे ही गाएंगे।।
करता हूँ परवाह तुम्हारी
अन्तर्मन की बाहों से
चाहें जितनी दूर करो तुम
अपनी निठूर निगाहों से
एक दिन ओझल हो जाउंगा
और शब्द रह जाएंगे
प्रेम पथिक है अधर मेरे
ये गीत तेरे ही गाएंगे।।