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Swati Grover

Drama Children

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Swati Grover

Drama Children

गुड़िया

गुड़िया

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पिंकी बिटिया बैठी थी उदास

उसकी गुड़िया को तोड़-फोड़कर

नोच खोंसकर फेंक दिया था

किसी ने गटर के पास

सभी लगे उसे बहलाने

क्या-क्या कहकर लगे समझाने

तभी न जाने उसे क्या सूझी

कि वह चल पड़ी थाने

पहुँची थाने बोली अंकल

देखो, मेरी गुड़िया की हालत

जिसने किया है ऐसा, उसे पकड़कर लाऊँ

जैसे भी हो उसे फाँसी पर लटकाओ

पुलिसवाला जोर से हँसा और बोला-

तेरे जैसी हाड़-मांस की गुड़िया के साथ

रोज हो रहे हैं ऐसे हादसे

यह तो हो गयी आम सी बात

फिर प्लास्टिक की गुड़िया की होती क्या बिसात

कौन पकडे़ इनके आरोपी क्या फायदा जान गँवाने में

नेताजी के कुत्ते पकड़कर मज़ा हैं, लाखों कमाने मैं

चल भाग यहाँ से-

अब न आइयों कभी थाने में

वह मासूम कहाँ जाए

टूट गयी थी, आखिरी आस

पिंकी बिटिया बैठी थी उदास

उसकी गुड़िया को तोड़-फोड़कर,

नोच खोंसकर फेंक दिया था

किसी ने गटर के पांस!


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