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Santosh Jha

Drama

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Santosh Jha

Drama

एक रात थी अंधेरी

एक रात थी अंधेरी

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एक रात थी अंधेरी,

एक मैं था अकेला

ना रात का था कोई साथी,

ना मेरा था कोई सानी


यूँ बस बैठे हुए सोचा

कुछ खुद से ही गुफ्तगू कर लूं

जो बातें हैं दुनिया को बता नहीं सकते

चलो वो बातें इस रात को ही बता दु !!


कुछ राज अपने इसे बता दूं

कुछ किस्से अपने सुना दो

जो चेहरा सब छुपाए रखते हैं उजालों से

चलो आज से अंधेरी रात को दिखा दो


बहुत भरोसा कर लिया

उजाले की रोशनी पर

चलो एक दफे आज वफा

चांदनी रात की भी देख लु !


चलो इस चांदनी रात में

कोई हंसी ख्वाब सजा लु,

चाको आज कुछ पल तो

जुगनुओं के साथ बिता लु !


दुनिया के लोगो पर

भरोसा कर कर के थक चुका हूं मैं,

चलो इस रात को ही अब

अपना हमसफर बना लु !!


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