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Santosh Jha

Abstract

4.9  

Santosh Jha

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एक साँवली सी रात हो !

एक साँवली सी रात हो !

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एक साँवली सी रात हो,

तेरा मेरा साथ हो।

पलकों पर सपने लिए

हाथों में बस तेरा हाथ हो,

एक सांवली सी रात हो !


दिल कोई ख्वाब बुने,

आंखों में बस एक आस हो । 

मुस्कुराते रहे हम बाकी

बस तुम्हारा साथ हो,

एक साँवली सी रात हो !


दिल में छुपी थी जो,

आंखों से ही वह बात हो।

पलकें बस झुकी रहे

दिल से ही संवाद हो, 

एक साँवली सी रात हो !


कुछ ख्वाब हम बुने,

कुछ खुदा का साथ हो।

उंगलियों की छुहन जो

दिल तक पहुंचे,

बस वही एहसास हों,

एक साँवली सी रात हो !


एक शब्द भी ना बोले,

फिर भी सारी बात हो।

इस कदर मिले इस बार के

जन्मों जन्मों का साथ हो, 

एक साँवली सी रात हो !


होठों पर मुस्कुराहटें,

आंखों में बस एक तेरा ख्वाब हो।

हल्की सी बरसात हो, 

तो कुछ अलग ही बात हो,

एक साँवली सी रात हो !


यूं ही बस चलते रहे,

फूलों की बरसात हो। 

आसमां भी कह पड़े,

जहां में बस तुम जैसा ही साथ हो, 

एक साँवली सी रात हो !


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