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Santosh Jha

Romance Tragedy Others

4  

Santosh Jha

Romance Tragedy Others

पता है तुम्हें कितना तन्हा कर गयी हो ।

पता है तुम्हें कितना तन्हा कर गयी हो ।

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पता हैं तुम्हें कितना तन्हा कर गयी हो ।

जैसे जिस्म मे से जान तो हो, पर रुह रुसवा कर गयी हो ।।


जब भी कोई गाना सुन लूँ, या कभी खुश हो जाऊँ ।

बताने को दिल हमेशा तुझे ही ढूँढता है।।


किस्सा हो कोई या कोई बात बुरी लग जाये ।

जज्बात जीतने भी उमड़ते है, जताने को दिल तुम्हें ही ढूँढता है ।।


पता है तुम्हें कितना तुम्हें तन्हा कर रहीं है ।

एक पल में तेरी यादें मुझे फिर से उसी दोराहे पर ले खड़ी कर देती है ।

कुछ पल में ही मुझे मुझसे दूर कहीं, तेरे करीब पहुँचा आती है ।।


जो वादे हमने किये थे खुद से और एक दूसरे से ।

पल में भर मुझे ठीक वही ल खड़ा कर देती है ।।


पता है तुम्हें कितना तुम्हें तन्हा कर रहीं है ।

मुझ से मुझ को कितना दूर कर गयी हो ।।


तुम्हारे बिना ख़ुशियाँ के कोई मायने नहीं है।

आंसुओं के कोई रोकने वाला तुझ सा अब कोई सानी नहीं है ।।


जितना चाहे हंस लो कोई पूछने वाला नहीं है ।

अब जितना चाहे रो लो कोई टोकने वाला नहीं है ।


पता है तुम्हें कितना तन्हा कर गयी हो ।

अंदर से मुझे कितना खोखला कर गयी हो ।।


अब उन प्यार भरे गानों पर किसको चिड़ाऊँ।

किसको थोड़ा गुस्सा दिलाकर, फिर जी जान से मनाऊं मैं ।।


किस के एक मुस्कुराहट देख कर खुद जीना सिखाऊँ मैं ।

किसके लिये में एक शहर से दूसरे शहर चक्कर लगाऊँ मैं ।।


पता है तुम्हें कितना तन्हा कर गयी हो ।।


वो रात रात भर बातें दिल को अब भी सताती हैं।

वो बातें मुझे हर रोज हर पल याद आती है।।


जैसे दिल ने उन बातों को अभी सच मान रखा हो।

उम्मीदों के सागर में, यादों के तिनकों को अभी तक थम रखा हैं ।।


पर कैसे इसे समझाऊँ इसे और क्या समझाऊँ मैं ।

तुम्हारा खुमार कैसे इस दिल से निकालूँ मैं ।।


पता है तुम्हें कितना तन्हा कर गयी हो ।

वैसे आँखों के ख्वाब धुंधले पढ़ने लगे हैं।

थोड़ा थोड़ा ही सही आँखों के आँसू सूखने लगे है।।


फ़िर भी ये मत समझना कि दिल संभल सा गया हैं।

ना ही ये तेरी यादों से अभी तक उभर पाया है ।।


बिखरा भी है तो काँच के टुकड़ों कि तरह ।

कितना भी जोड़ लूं , जख्म टुकड़ों में ही सही दिख ही जाता है।।


पता है तुम्हें कितना तन्हा कर गयी हो।

मुझ से मुझी को चुराकर मुझे मेरे बग़ैर कर गयी हो।।


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