अधूरा हूं मैं और अधूरा ही रहने दो
अधूरा हूं मैं और अधूरा ही रहने दो
अधूरा हूं मैं और अधूरा ही रहने दो !
जो टूट गया है अंदर उसे टूटा ही रहने दो !!
ख़्वाहिश नहीं इस दिल को किसी मुकम्मल
जहां की !
बिखरा जो है दिल मेरा उसे बिखरा ही
रहने दो !!
अधूरा हूं मैं और अधूरा ही रहने दो
हर बार हर रास्तों पर ठोकर खायी
जिस जिस पर भरोसा था हर एक ने
बेवफाई निभाई !!
थका हुआ हूं मैं, मुझे थोड़ा रो लेने दो !
नहीं ख़्वाहिश मुझे किसी मंज़िल की
मुझे रास्तों पर ही सो लेने दो !!
अधूरा हूं मैं और अधूरा ही रहने दो
लाख समझाया दुनिया ने, मत कर
यकीन इश्क पर इतना !
सारी दुनिया से बेखबर होकर,
मत हो इश्क में चूर इतना !!
मगरूर था मैं जितना, उतना ही
अब मजबूर रहने दो
इश्क़ के साये से, अब मुझे
थोड़ा दूर ही रहने दो !!
अधूरा हूं मैं अधूरा ही रहने दो
सपनों का शोर अब और नहीं
सताता है !
ख्वाहिशों का बोझ अब और नहीं
रुलाता है !!
अब इस दिल को किसी की तलाश नहीं
इसे तन्हा ही जीने दो !
बस अब खुद ही से रूठने दो और
खुद ही को अब मनाने दो !!
अधूरा हूं मैं अधूरा ही रहने दो !