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Santosh Jha

Tragedy

3  

Santosh Jha

Tragedy

वो बातें, वो मुलाक़ाते

वो बातें, वो मुलाक़ाते

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वो बातें वो मुलाक़ाते, वो बातें वो मुलाक़ातें, 

वो बिताये हुई हसीन रातें क्या तुम्हें भी

तड़पाती है, जैसे मुझे सोने नहीं देती।


वो सड़कों पर चलना, वो हाथों का टकराना

वो दोनों का साथ रुकना और फिर आगे बढ़ जाना

क्या तुम्हें भी सताती है वह बातें जो मुझे सोने नहीं देती।


वो पहली मुलाक़ात की घबराहट, वो आख़िरी की छटपटाहट

वो पहली मुलाक़ात की खुशी, वो आख़िरी की बेबसी

क्या तुम्हें भी परेशान करती है वह बातें जो मुझे कभी सोने नहीं देती।


वह साथ देखे हुए सपने, वो साथ जीये हुए लम्हे

वो पहली छुअन, वो आख़िरी मिलन

क्या तुझे भी सताती है, वो बातें जो मुझे सोने नहीं देती।


वो पल में रूठना, पल भर में ही मान जाना

वो बेबाक आकर दिल की बात कह जाना

क्या तुझे भी रुलाती है वह बातें 

जो मेरी आंखों से आंसू सूखने नहीं देती।


वो दूर होने की बेबसी, वो पास आने की आरज़ू

वो मिलने की खुशी और घंटों की गुफ़्तगू

क्या तुझे भी सताती है वह बातें

जो मुझे आज भी सोने नहीं देती।


वो पहली दफे साथ चलना, 

वो आख़िरी बार तांगे पर साथ बैठना

वो पहली मुलाक़ात में दिल हारना, 

वो आख़िरी बार का दिल टूटना

क्या तुझे भी रुलाती है वह बातें 

जो मेरे आंसू सूखने नहीं देते।


वो घंटो कॉल पर बिताना 

वह पूरे दिन का हाल सुनाना

वो किसी के आ जाने पर कल फट से काट देना, 

वो इंतज़ार में फोन के रातें काटना

क्या तुझे अब भी परेशान करती हूं 

बातें जो मेरी अॉंखों में नींद आने नहीं देती।


वो दिल को समझाना, 

वह खुद ही को रुलाना

वो सारी बातों से भागने की 

नाकाम कोशिश करना

क्या तुझे भी रुलाती है वो बातें 

जो मेरे आंखों से आंसू सूखने नहीं देती।


वो तेरा पहले इज़हारे मोहब्बत करना,

वो मेरा खुशी से पागल हो जाना

एक पल में दो होकर भी 

दोनों का एक हो जाना


क्या यह सारी चीजें तुम्हें भी 

इतनी ही याद आती है जितना की मुझे !

वो अपने सामने ख्वाबों को राख होते देखना

वो अपनी लाचारी पर खुद को हंसते देखना


बोल ना, क्या तुम्हें भी परेशान करती है 

वो बातें जो मुझे सोने नहीं देती !


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