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Santosh Jha

Abstract

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Santosh Jha

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सवालों जबाबो में जिंदगी कट रही हैं,

सवालों जबाबो में जिंदगी कट रही हैं,

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सवालों जबाबो में जिंदगी कट रही हैं,जो ख़्वाबों के आशियाने में बीते ऐसी अब बात कहाँ !!

करवटे बदलते बदलते सुबह हो रही हैं,जो सपनों में हि कट जाए अब वो रात कहाँ !

गुमनाम सड़को पर चुपचाप निकलता हूँ ,जो तेरे ख्याल से चेहरे पर मुस्कान आ जाये वो शाम अब कहाँ !

रिश्तों के बाजार में सब कीमत लगाये बैठे हैं,जो इस भीड़ में सच्चा यार मिल जाये अब वो वक़्त कहाँ !

सब यहाँ सबको ही अपना दुख सुना रहे है,कोई कभी खुशी पर भी बुलाये अब वो बात कहाँ !

दिल टूट जाता है तो कही और लगा लेते है,गर उसके इन्तजार में जिंदगी काट सके ऐसे आशिक अब कहाँ !

मोहब्बत में भी जल्दी नफरत में भी जल्दी,गर दो पल ठहर कर समझ सके ऐसे जज़्बात अब कहाँ !


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