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Santosh Jha

Abstract

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Santosh Jha

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कसर उसने कोई ना छोड़ीं

कसर उसने कोई ना छोड़ीं

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कसर उसने कोई ना छोड़ीं

अपने मकान में आग लगाने में

वो तो हवाओं को मंज़ूर नहीं था

घर उसका राख़ बनाने में

फिर कहता रहा ज़माने से, देखो

कितना ज़तन लगा मुझे अपना घर बचाने में।


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