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सतीश कुमार

Romance Others

4.5  

सतीश कुमार

Romance Others

एक गुलाब

एक गुलाब

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जबसे तुमने वादा किया है,

कल शाम को मिलने का। 

उसी आस में पलकों ने भी,

प्रण लिया ना ढलने का।


सोचा !रात गुजर जायेगी,

चाँद से बतला लेता हूँ।

पर रात अमावस वाली थीं,

मैं खुद को संवार देता हूँ।। 


सुबह की हवा ठंडी थी,

अंदर का मत पूछो हाल।

इंतजार की तेज थी घड़ियाँ,

पर पल-पल भी लगता साल। 


सोचा! प्यार का मौसम है, 

कुछ सौगात ले लेता हूँ ।

पर जेब तो मेरी खाली थी,

मैं खुद को संवार देता हूँ।। 


सूरज चमकीला पश्चिम में डूबा, 

शाम की बेला निखर के आई। 

दिन की धड़कन बढ़ती गई,

जब तन की गंध हवा संग छाई।


सोचा! प्यार की सच्ची निशानी, 

एक गुलाब रख लेता हूँ। 

मिलने का वादा पूरा हो,

मैं खुद को संवार देता हूँ।। 



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