आज झोपड़ी में है आज झोपड़ी में है
नहीं ऐसा नहीं है , वो वैसा ही दौड़ रहा है , सिर्फ हम बेहद सहम गए हैं, नहीं ऐसा नहीं है , वो वैसा ही दौड़ रहा है , सिर्फ हम बेहद सहम गए हैं,
वसुंधरा कहती है प्राण प्रिय हो तुम दुल्हन मुझे बनाने प्रिय आते हो तुम, वसुंधरा कहती है प्राण प्रिय हो तुम दुल्हन मुझे बनाने प्रिय आते हो तुम,
मगर संभाल खुद को बाहर से रहा था, मगर संभाल खुद को बाहर से रहा था,
लौट आ पल भर में फिर उसी पल के लिए लौट आ पल भर में फिर उसी पल के लिए
श्रेष्ठ काज से आगे बढ़ती , हर पथ देती पूर्ण संवार श्रेष्ठ काज से आगे बढ़ती , हर पथ देती पूर्ण संवार