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Bhavna Thaker

Tragedy

4  

Bhavna Thaker

Tragedy

दर्द

दर्द

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रंज भरे सिने में मेरे सपने सुलगते रहे

एसा क्या हुआ कि रिश्ते धीरे-धीरे बदलने लगे.!


उभरे जब अल्फाज़ बयाँ करने जज़बात मेरे

पन्ने स्याही के साथ अश्कों से भी भीगने लगे.!


बुने तो थे अल्फाज़ बहुत ज़िंदगी का शुक्रिया अदा करने

पर दिल के अंधेरों में शब्द सारे गुम होते रहे.!


उम्मीद ना थी कि हाल ऐसा भी होगा दिल का 

बेरुख़ी की कटार से वार हम पर होते रहे.!


एक एहसास जगा था महबूब से मनसूब होंगे कभी

आबशार समझा था जिसे वो सहरा सी रेत के पर्वत निकले.!


आसमान से टूटा हुआ सितारा ही समझो मुझे 

पर टूटने से पहले ही हम कुछ ऐसे बिखरे.!


ठहराव महसूस किया था जिसको पाकर दिल ने

क्यूँ वो ही सहारे महज़ खोखले निकले.!


हर एक साँस हमने तो उनके नाम लिख दी थी 

खुदा माना जिसे आख़िर वो ही क्यूँ दिल के छोटे ओर आम निकले.!

(


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