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Ranjana Jaiswal

Tragedy

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Ranjana Jaiswal

Tragedy

यह शहर है

यह शहर है

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यह शहर है 

यह रोने की जगह नहीं है

यह शहर है

कंक्रीट और पत्थरों से सजा

आदम के ये मुर्दे

अनजानी मंजिल की तरफ माथा उठाए उदग्र

नहीं जानते

सुनते नहीं किसी का दुःख

दुःख कातर ये शानदार

ये चमचमाते मुर्दे

छूओ इन्हें

पूछो इनका हाल

बढ़ाकर आदमियत का हाथ

पिघल कर टपक पडेगी इनकी चमक

पल में

पाओगे इनके ही आँसुओं के दलदल में

लतपथ हाँफते चेहरों को

देखो गौर से इन्हें

अपने ही दुखों से बेखबर मुर्दों का शहर

रोने की जगह नहीं है यह

यह शहर इंसानों का है कोई जंगल नहीं

रोना आदमी का सिर्फ जंगल सुनता है

रोता है

दूने वेग से फड़फड़ा उठते हैं पक्षी

तड़प-तड़प जाते हैं

वृक्ष वनलताएँ

शामिल होते हैं सब तुम्हारे रोने में

रोना है तो जाओ जंगल

यह शहर है।



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