दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी
दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी
दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी
रोशनी में तम की जरूरत न थी
सब बदले मुझे कोई गम न था,
तेरे बदलने से आंखें मेरी नम थी
तू बात तो दोस्ती की करता था,
पर तेरे दिल में मेरी तस्वीर न थी
यह रात इतनी भी अंधेरी न थी
दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी
यूँ दोस्ती को थोपा नहीं जाता है
भरे सावन में यूँ रोया नहीं जाता है
तेरी आँखों में मेरी चमक न थी
तेरे दिल में मेरी थोड़ी जगह न थी
धन-दौलत में दोस्ती भुलाता रहा,
रुपये-पैसे को ही दोस्त कहता रहा
मेरे लिये तुझसे बड़ी दौलत न थी
दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी
मुसीबत में दोस्त ही आड़े आते है,
जब सब रिश्ते स्वार्थी हो जाते है,
मित्र से बड़ी साखी की दौलत न थी
मित्र तू ही मेरी इकलौती जिद थी
दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी
मत ठुकरा, मत तोड़ इस दोस्ती को,
मित्र से अच्छी ठौर जन्नत में न थी
तुझसे बड़ी खुशी कोई और न थी