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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी

दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी

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दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी

रोशनी में तम की जरूरत न थी

सब बदले मुझे कोई गम न था,

तेरे बदलने से आंखें मेरी नम थी

तू बात तो दोस्ती की करता था,

पर तेरे दिल में मेरी तस्वीर न थी


यह रात इतनी भी अंधेरी न थी

दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी

यूँ दोस्ती को थोपा नहीं जाता है

भरे सावन में यूँ रोया नहीं जाता है

तेरी आँखों में मेरी चमक न थी

तेरे दिल में मेरी थोड़ी जगह न थी

धन-दौलत में दोस्ती भुलाता रहा,

रुपये-पैसे को ही दोस्त कहता रहा

मेरे लिये तुझसे बड़ी दौलत न थी


दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी

मुसीबत में दोस्त ही आड़े आते है,

जब सब रिश्ते स्वार्थी हो जाते है,

मित्र से बड़ी साखी की दौलत न थी

मित्र तू ही मेरी इकलौती जिद थी

दोस्त तुझसे यह उम्मीद न थी

मत ठुकरा, मत तोड़ इस दोस्ती को,

मित्र से अच्छी ठौर जन्नत में न थी

तुझसे बड़ी खुशी कोई और न थी



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