दम घुटता है
दम घुटता है
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भूल गई हँसना अब, कहीं दिल नहीं लगता।
टूट गया नाता उजाले से, अंधेरा नज़र आता।
दम घुटता है यूँ अकेले में, कमरा मेरा राज़दान।
खिड़की से निहारना चाँद को, अब नहीं भाता।
शीतल हवा की ताज़गी भी, बेअसर आज मुझ पर।
गुज़र जाती ख़ुशबू यहीं से, मन तड़पता रह जाता।
रिमझिम बारिश की बूँदों पर, नहीं टिकती नज़र।
पीर सीने की मिटती नहीं, आग और दहक जाता।
कैद है मन यादों के पिंजरे में, तू चला गया बहुत दूर।
तुम ख़ुश रहो, मुझे कहीं और दिल लगाना नहीं आता।