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Shakshi Kumari

Tragedy Classics Inspirational

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Shakshi Kumari

Tragedy Classics Inspirational

सपने अब मुझे सोने नहीं देते

सपने अब मुझे सोने नहीं देते

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रातें अब बीतते हैं अब आखों में,

सपने अब मुझे सोने नहीं देते।

मेहनत अटुट करते हैं, 

आँखों में हार को रोने नहीं देते।।


आराम अब भाता नहीं, बिस्तर भी चुभने लगी 

लक्ष्य की चाहत में, सपने अब मुझे सोने नहीं देते।

मेहनत से जब में थक हार जाती हूँ 

अपनी नाकाम याबी को फिर से दौहराती हूँ 


हार का डर अब मुझे रोने नहीं देते,

सपने अब मुझे सोने नहीं देते।।


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