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Anil Jaswal

Classics

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Anil Jaswal

Classics

गेहूं आ गई

गेहूं आ गई

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बैसाखी आई,

किसानों ने,

दरातरी उठाई,

फसल पर चलाईं,

और शुरू हो गई कटाई।


सुरज देवता भी,

पुरी तरह प्रसन्न,

तापमान पहुंचा दिया,

30 के उपर।


एक तरफ,

पसीने की बुदें टपकती,

मेहनत तिलक,

धरती पर करती,

और किसान की,

दरातरी चलती।

फसल के गट्ठर बनते,

और खेत में ढेर लगते।


कभी कभी,

बादल मित्र हो जाते बेताब,

अपनी प्रेमिका,

धरती की,

मिटा देते प्यास।


परंतु किसान हो जाता परेशान,

उसके गट्ठर भीग जाते,

सुरज देवता के आगे,

करनी पड़ती अरदास।


ऐसी चमक दिखाओ,

मित्र बादल को दूर भगाओ।

थ्रैशर का लगाया,

है नंबर।

आज से तीसरे दिन मिलेगा,

बस निकल,

जाने दो दाने,

बोरी भर जाने दो,

गोदाम में आ जाने दो।


फिर मंडी में,

बिक जाने दो,

पैसे बैंक में,

आ जाने दो।


फिर मित्र बादल को बुलाएंगे,

छमाछम बरसाएंगे,

उसकी प्रेमिका,

धरती से मिलवाएंगे।


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