रेडियो
रेडियो
वो पुराने गीत वो पुराना जमाना
वो मधुर संगीत वो गुनगुनाना
याद आता है गीतमाला का हर पुराना गाना।
घर के कोने में रेडियो रखा हुआ था।
वह समय था जब टेलीविजन का आविष्कार भी नहीं हुआ था।
मनोरंजन का भार केवल रेडियो पर टिका था।
टेप रिकॉर्ड और कैसेट भी कभी देखे नहीं थे।
बस रेडियो थे, जिनके बिना हम रहते नहीं थे।
परन्तु वह एफएम का था नहीं जमाना।
पूरे दिन रेडियो का होता नहीं था चलाना।
हर प्रोग्राम जो क्रम में होते थे
हमको तो सारे क्रम रटे हुए थे।
गीतमाला के गीत मधुर जो सुनते थे
पर फिर भी अपनी मां की डांट से डरते थे।
उन्हें लगता था कि हर समय सुनकर गीत हम बिगड़ जाएंगे।
हर तरह के आते हैं गाने पूरे परिवार के साथ हम सुन नहीं पाएंगे।
वो क्या था जमाना अब सोच कर हम सब हंसते हैं।
क्या आज वाले बच्चे कभी इतना सुन सकते है।
