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S N Sharma

Romance Tragedy Classics

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S N Sharma

Romance Tragedy Classics

रोशनी की चाह में।

रोशनी की चाह में।

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अंधेरों से लड़ते रहे हम रोशनी की चाह में।

पर साथ अंधेरे ही चले थे, जिंदगी की राह में।


उस घने जंगल में थोड़ा सा उजाला क्या दिखा।

उम्मीदों के पंख फैले फिर गगन की छांह में।


उस घने जादुई जंगल में रोशनी फिर खो गई

परछाई ने भी साथ छोड़ा तब अंधेरी राह में।


सबके अपने रास्ते हैं सबकी अलैहदा मंजिलें।

मेरे मन संभल जा न गिर किसी की निगाह में।।


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