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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Classics

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Classics

प्रेम मंदिर

प्रेम मंदिर

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प्रेम नगर का वासी हूँ मैं,

तुजे प्रेम नगरमें बसाना है,

तेरे संग मधुर मिलन करके,

मुजे प्रेमका चमन महेंकाना है।


प्रेम नगरमें तेरा मंदिर बनाकर, 

तेरी आरस की मुर्ति बनानी है,

तेरे प्रेमका मै पूंज़ारी बनकर,

तेरी आराधना मुजको करनी है।


दि लसे प्रे मका घंट नाद करके,

तेरी प्रेम से आरती प्रगटानी है,

प्रेम की ज्योत दिल में जलाकर,

तेरी प्रेम की महिमा मुजे गानी है।


जल्दी आजा इस प्रेम मंदिर में,

तेरे दिल की धड़कन सूननी है,

 "मुरली"में प्रेम का राग बजाकर, 

मेरे दिल में तुझ को समाना है।


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