ताज्जुब की बात
ताज्जुब की बात
ताज्जुब की बात है यार !
पांच फीट छे इंच के
छोटा सा एक चेहरा
उसका छोटा सा एक दिल
पर उसमें सिमट जाती है
इतने बड़ी दुनिया मेरे यार !
और उसमें जगह है
सब केलिए
धरती के सारे के सारे
इंसानों केलिए
फिर पेड़ पौधे
जानवर, पंछी
पहाड़, झरना
खूबसूरत वादियां
नदियां, समंदर
नीला आसमान
चांद, तारे, बादल
सब केलिए उसमें जगह है
और सब सही सलामत हैं
ये सब होते हुए भी
उसमें एक जगह है
जिसे सुरक्षित
रखा हूं मैं
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए
तुम हो तो उसमें
भरजाती है रंग
गर तुम नहीं तो
सबकुछ लगता
खाली खाली, कुछ भी नहीं...!