कहीं करती होगी वो मेरा इंतजार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतजार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतजार
जिसकी निगाहों में मेरे दिल का है करार। . .२
कहीं खोई होगी यादों में,
अपनी ही कहीं बातों में,
लिए आईना वो हाथों में
खोया खोया सा यार।
चुपके चुपके कुछ सोचेगी,
नीदें अखियाँ दबोचेगी,
होगी सपनों में बातें फिर
जागी जागी बहार।
कहीं करती होगी वो मेरा इंतजार
जिसकी निगाहों में मेरे दिल का है करार। . .२
दुर नदी के किनारे से,
कहता हूँ अधियारो से
उसी नयनों के इशारे से
उजियारे हजार।
मेरी हो तो फिर आ जाना
मिलकर बतला जाना,
मेरी दुनिया बसा जा जाना
दे जाना करार।
कहीं करती होगी वो मेरा इंतजार
जिसकी निगाहों में मेरे दिल का है करार।