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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

परमार्थ का करते रहें प्रयास

परमार्थ का करते रहें प्रयास

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स्वांत: सुखाय परमार्थ का सदा ही करते रहें प्रयास,

निज आलोचना बदनामी देगी हमें दुखद अहसास।

खुद ही तय करनी होगी हमको अपनी मंजिल,

साहस धैर्य नियोजन सेहल होती है मुश्किल।


असफलता से मत घबराएं प्रयास न होते निष्फल,

रुकें नहीं गतिशील रहें रहता जैसे  गंगाजल।

समय-समय के अवलोकन देते हैं गति खास,

स्वांत: सुखाय परमार्थ का सदा ही करते रहें प्रयास,

निज आलोचना बदनामी देगी हमें दुखद अहसास।


यश-अपयश के चक्कर में न छोड़ें हम शुभ काम,

हो जाए गति मंद फिर भी प्रयास करें अविराम।

लक्ष्य भले ही कैसा हो जग में आएं कष्ट तमाम,

प्रयासरत रहें धैर्य धर के जब तक आए जीवन की शाम।


लक्ष्य कभी विस्मृत मत करिए रखिए दृढ़ विश्वास,

स्वांत: सुखाय परमार्थ का सदा ही करते रहें प्रयास,

निज आलोचना बदनामी देगी हमें दुखद अहसास।


आज जिन्हें पूजा जाता निज जीवन में हुए बदनाम,

सुकरात ईसा दयानंद प्रभु श्रीकृष्ण या राम।

आलोचकों से सीख प्रशंसकों से ऊर्जा लें तमाम,

सशक्त मगर नम्र रहें दीन भाव का न कोई काम।


कुछ भी करो तो भी लोग कहेंगे नहीं तजें विश्वास,

स्वांत: सुखाय परमार्थ का सदा ही करते रहें प्रयास,

शुभ संकल्प रंग लाएगा एक दिन यह रखें सुखद अहसास।


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