धरती
धरती
धरती हमारी माँ हैं, जिसकी
गोद में हम है, क्यूं करते हैं,
सब लोग धरती माँ का
तिरस्कार,धरती पर ही तो
रहकर हमें मिली है घर
की छत, सुनो करो धरती
माँ का सम्मान नही करो
हमारी धरती माँ का अपमान
कितना कुछ सहती है धरती
हम सबका मिलकर भारी बोझ,
फिर भी क्यूं करते है लोग
हमारी धरती माँ
का अपमान
पान गुटखा खा कर
सब धुकते है,
धरती मां तो नही कभी
ऐसा करती हैं,
तो फिर क्यूं धरती माँ
पर धरती माँ
कब तक
सहती रहेगी बोझ तुम्हारा
झेलती रहेगी क्यूं सबका
बोझ बोलो उठाती रहेगी,
कितना सहती हैं फिर
भी क्यूं नहीं है
आती अक्ल उन लोगों को,
जो करते रहते है धरती
माँ का अपमान।
