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Deepika Kumari

Fantasy

4  

Deepika Kumari

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मुस्कान

मुस्कान

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दोनों होंठों को फैला कर

गालों की ओर उन्हें ले जाकर

मन की प्रसन्नता को

चेहरे पर झलका कर

जो आती है

वह मुस्कान कहलाती है।


मुस्कान वही सच्ची

जो मन से आए

मन की खुशी को

चेहरे पर झलकाए

होठों को मात्र फैला देना ही‌ ‌

मुस्कान नहीं कहलाती है।


मुस्कान भी होती

कई प्रकार की

दूसरे को नीचा दिखाने को

मन की इच्छा

जब होठों से हो कर

चेहरे पर छा जाती है

वह नकली मुस्कान

ईर्ष्या की मुस्कान कहलाती है।


मन के भीतर के गम को

सबसे पड़े छुपाना तो

चेहरे पर उस वक्त जो

हंसी बनावटी आती है

वह दर्द से भरी मुस्कान

वेदना की मुस्कान कहलाती है।


जिससे मिलने का मन ना हो

फिर भी जब वह दिख जाता है

जिसे देखकर होठों को

जबरन खिल जाना पड़ता है

ना चाह कर भी जब अधर खिलें

वह मुस्कान अनभिलषित है।


काम कहीं जब अटका हो

लगाना किसी को मस्का हो

मतलब निकालने की खातिर

जो बार-बार आ जाती है

यह मतलब की मुस्कान

खुदगर्ज मुस्कान कहलाती है।


शिशु की बाल लीला को देख

जब मुग्ध कोई हो जाता है

 मन ममता के सागर से

भर भरकर बाहर आता है

उस समय चेहरे पर बिन कारण ही

निस्वार्थ भाव से जो आती है

वह स्नेह से भरी मुस्कान

ममतामयी मुस्कान कहलाती है। 


प्रेम के लिए

जब दूर कहीं

प्रेमिका के मन में

प्रणय भाव उठे

उन भावों से शर्माती

जो चेहरे को लजाती आती है

वह आसक्ति भरी मुस्कान

प्रेमी मुस्कान बन जाती है ।


शत्रु को पराजित करके जब

मन में अहंकार भर आता हो

उस अहंकार के मद में चूर

कुछ और नजर ना आता हो

उस वक्त जो चेहरे की छवि पर

जो एक घटा छा जाती है

वही विनाश की जड़ बनती

अभिमानी मुस्कान कहलाती है।


जब मित्र कोई पुराना बिछड़ा

ऐसा हमको दिख जाता है

मन खुश होकर जिसको

अपने गले लगा कर रोता है

आंखों में पानी होकर भी

वो चेहरे पर आ जाती है

वह मुस्कान मित्रता की

सच्ची पहचान बन जाती है।


जब हाथ उठे किसी असहाय की

पीड़ा को हर लेने को

जब मन कहता किसी दिन दुखी के

दुख को दूर मिटाने को

तब मदद तुम्हारी पाकर जो

मुस्कान उसे तुम देते हो

वह मुस्कान बड़ी सब मुस्कानों से

क्योंकि ईश्वर की छवि वह होती है

वही मुस्कान उस दीनदयाल की

प्रभु मुस्कान कहलाती है।


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