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anju Singh

Fantasy

4  

anju Singh

Fantasy

यादें

यादें

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ज़माने साईकिल के ही अच्छे थे, 

दोस्त मिलते....तो ब्रेक लगते थे।


यूं सड़क किनारे पर रूककर हम,

हाथ से हाथ मिला के हंसते थे।


यार महंगे शूट पहन कर मिलते,

वो सब सच्चे दिल वाले लगते थे।


पैडल मार के मंजिल पर पहुंचते,

 सैकड़ों मील बिन थकें चलते थे।


न पैट्रोल न डीजल की चिंता थी,

पसीने से लथपथ आगे बढ़ते थे।


चैन सौ दफा भले उतरती रस्ते में,

मगर दोस्ती पूरी सब निभाते थे।


 पंचर होता या टीप भी फट जातीं,

मगर साईकिल वफादार बताते थे।


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