दोस्ती
दोस्ती
एक छोटी सी कविता दोस्ती के नाम।
एक दोस्त था हमारा
ऐसा मानो जैसे दिल के इतना प्यारा ,
बिना बोले जान लेता दिल का हाल मेरा
राह दिखाई थी ओर उत्साह बढ़ाया।
ना जानते थे हम भी कुछ लिख कर ,
हम भी कुछ नया मुकाम हासिल कर सकते है।
मेरा केवल शौक समझो या फिर टाइम पास,
पर उस दोस्त ने उस को पहचाना और समझा।
ओर बोली इतना अच्छा लिखती हो,
तो छुपाती क्यों हो, खुल कर सबके सामने अपने विचार रखो।
इतना समझाया और हौसला बढ़ाया कि
उसे मेरे लिए एक उद्देश्य बना दिया और वही मैंने मंजिल बना ली।
उनके इस विश्वास और हौसले से आज मैं एक लेखिका के रूप में सबके सामने नजर आई,
पर क्या मालूम था कि इतना कुछ मेरे को बताने और समझाने वाली।
एक दिन मेरे को ही छोड़ जायेगी मेरे को,
आज फिर वो याद आई फिर से लिखना शुरू किया।
सोचा था उनके जाने के बाद नहीं लिखूंगी ,
पर क्या करूँ उसके बिना नहीं लिखा तो ,
फिर क्या वो या उसकी आत्मा खुश होगी
तो फिर से लिखना शुरू कर दिया मैंने।
एक दोस्त था वो भी दिल के इतने करीब की मानो
जैसे कि जान हो हमारे,
पता नहीं क्यों और कहाँ चली गयी
मेरे को अकेले छोड़ के नहीं रोक सकी उसे मैं।
अब करूँ क्या छोड़ गयी वो तो ,
और हमें ऐसे भूल गयी वो हमको,
एक दोस्त था हमारा जो दिल के करीब था हमारे।
