Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

mamta pathak

Tragedy

4  

mamta pathak

Tragedy

दायरा

दायरा

1 min
21


मैंने कभी कोई दायरा नहीं बनाया

नहीं रखी कभी कोई शर्त

ज़िन्दगी उसकी आज़ाद थी

मगर उसने बनाएं अनगिनत दायरे

रखीं जीने की अनगिनत शर्तें 

मेरी ज़िंदगी उसकी कैद में थी।


अपनी इच्छा से जीने के लिए

उसने कभी , मेरी इच्छा का न किया

अपनी हाँ के लिए उसने,

नही मिलाई कभी मेरी, हाँ में हाँ,

मगर मैंने अपनी एक इच्छा के लिए

उसकी कई अवांछित इच्छाएं पूरी की

उसकी एक हाँ सुनने के लिए 

कई अवांछित हाँ को हाँ कहा।


क़तरा -क़तरा समेटती रही

जानें क्यों पोसती रही ऐसे रिश्ते को

जिसने क़तरा-क़तरा मुझे ही

खोखला कर दिया

मगर उसने कभी नही पोसा 

कभी नही समेटा कोई रिश्ता,

वह खेलता रहा हैवानियत के खेल,

लेकिन दुनिया के सामने खुद बेचारा,

और मुझे हैवान बना दिया।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy