औरतें
औरतें


औरतें कभी पूरा नही जीती
वे जीती है थोड़ा -थोड़ा।
हर दिन में से अपने हिस्से का
चुरा लेतीं है थोड़ा सा समय
सहेज लेती है एक याद
अपने खुश रहने की।
औरतें कभी पूरी खुश नही होती
वे खुश होती है थोड़ा - थोड़ा।
उनके हिस्से कोई रिश्ता
पूरा का पूरा नही होता।
पर वे होती है हर रिश्ते में
पूरी की पुरी खोई हुई।
वे टूटे मन के साथ भी
अक्सर रहती है समर्पित
मुस्काई हुई।
औरतें कभी निराश नही होती
जोड़ लेती है तिनका -तिनका और
हर हाल में बना लेती आशियाँ ।