चुनावी दौड़ में होड़...
चुनावी दौड़ में होड़...
भाग री जनता भाग,
मिलखा जैसे भाग।
सियासत करने वालों से,
उनकी कुटिल चालों से,
जितना दूर हो सके भाग |
भाग री जनता भाग।
पहन कर सियासत का चोला,
सब्ज़ - बाग़ तुम को दिखलाने,
आ गए पलटने भाग |
भाग री जनता भाग।
धर्म का हथियार ले कर,
नफ़रतों का बीज बोने,
आ गए भड़काने आग |
भाग री जनता भाग।
ढोल जाति का बजा कर,
फिर से तुम को बर्गलाने,
अलाप रहे हैं राग |
भाग री जनता भाग।
अपने मन की बात सुन तू ,
अपने सपने ख़ुद बुन तू ,
सो रही क्यूँ , जाग |
भाग री जनता भाग।
मिलखा जैसे भाग।।
