चांद
चांद
इक चांद गगन में रहता है
इक चांद जमीं पे मौजूद है
मेरी दुनिया में बस तू ही तू
नहीं उसका कोई वजूद है
तेरे चेहरे का नूर चुराकर
हर रात चांदनी हो जाये
फूल खिजां में खिल उठे
जब भी तू मुस्कुराये
इक मैं ही दीवाना नहीं तेरा
ये सारा जहाँ मुरीद है
इक चांद गगन में रहता है
इक चांद जमीं पे मौजूद है
ये होंठ रसीले कोमल
बड़ी मधुर आवाज है
ये नयन नशीले गहरे सागर
बड़ा अलग तुम्हारा अन्दाज है
तेरी सादगी के क्या कहने
दिल लेती जीत है
इक चांद गगन में रहता है
इक चांद जमीं पे मौजूद है।