हिजाब
हिजाब
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अपने चेहरे से हिजाब हटा दो
अपना सुन्दर रूप दिखा दो
कायनात में अब भी कुछ कमी है
अपने सुन्दर रुप से चार चांद लगा दो
जब हुस्न से नवाजा हो खुदा ने चेहरा छुपाते नही
है गुजारिश के रस्म ए हिजाब भुला दो
है गुजारिश फूलों की के बहार आ जाये
इस लिए एक बार मुस्कुरा दो
देखने दो जहाँ को के कोई चांद से भी हसीं है
चेहरे के नूर से इस रात को चांदनी बना दो
अपने चेहरे से हिजाब हटा दो
अपना सुन्दर रुप दिखा दो