विदाई
विदाई
सात समन्दर पार चली तू
मुझे करनी कोई ऐसी बात नहीं
खुशी खुशी तुझे करूँ विदा
मगर काबू में रहते जज्बात नहीं
जाने कब फिर मुलाकात हो
ये तो किसी को ज्ञात नहीं
तुझे गले से लगाऊँ
कैसे दिल को समझाऊँ
ये वक़्त तो इक दिन आना था
हमसे विदा लेकर तुझे
अपने घर तो जाना था
मेरे घर की रौनक साथ चली
सिर्फ तुझे लेकर चली बरात नही
तुझ बिन घर में खालीपन है
याद करूँ भर आता मन है
वो हंसना गाना शोर मचाना
किसी का रूठना किसी का मनाना
अब तो कल की बात हुई
अब पहले जैसे हालात नहीं
तु यहाँ रहे खुशहाल रहे
हर आरजू हो पूरी ना कोई मलाल रहे
तुझपे महरबाॅं सदा रहे खुदा
जब मैंने की ना हो ये दुआ
कभी हुई ऐसी प्रभात नहीं
सात समन्दर पार चली तू
मुझे करनी कोई ऐसी बात नहीं
खुशी खुशी तुझे करूँ विदा
मगर काबू में रहते जज्बात नहीं।