फिर क़ैद कर के तुम्हें एक शीशी में, गिनूँगी तुम्हारी छोटी छोटी साँसें और फिर क़ैद कर के तुम्हें एक शीशी में, गिनूँगी तुम्हारी छोटी छोटी साँसें और
मिलता है आकाश जहां समंदर से और डूबता है सूरज जहां मिलता है आकाश जहां समंदर से और डूबता है सूरज जहां
क्या मसर्रत का ,क्या तो दर्दो -ग़म । ज़ायका हर शै का ही खारा था । क्या मसर्रत का ,क्या तो दर्दो -ग़म । ज़ायका हर शै का ही खारा था ।
प्रेम उल्फत उंस और प्यार.. मोहब्बत के तो चंद शब्द ये चार.. बयां कैसे करूँ..बस लफ्ज़ों में चार.. प्रेम उल्फत उंस और प्यार.. मोहब्बत के तो चंद शब्द ये चार.. बयां कैसे करूँ..बस ...
मैं तो चाहूँ नए अरमानों को पर मेरी संवेदना रहे, हर वक़्त तुमसे ही उलझ। मैं तो चाहूँ नए अरमानों को पर मेरी संवेदना रहे, हर वक़्त तुमसे ही उलझ।
हमें डूबने से बचा लो इस वायरस के समंदर से ।। हमें डूबने से बचा लो इस वायरस के समंदर से ।।