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Praveen BASHAK

Abstract

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Praveen BASHAK

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वायरस का डर, खौफ़, और खेल

वायरस का डर, खौफ़, और खेल

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खींच लेता हूं अक्सर

पांव घरों के अंदर ।

क्योंकि बाहर घूम रहा है 

कोरोनावायरस का समंदर।।

हमें इंतजार है हमें इंतजार है 

फिर से समंदर में तूफान आए।

और खींच ले जाए 

इस वायरस को अपने अंदर।।

धड़कने तेज हो जाती है अंदर ही अंदर 

ओ दुनिया बनाने वाले पुरंदर अब तो जागो ।

कोई रास्ता निकालो अंदर ही अंदर

हमें डूबने से बचा लो इस वायरस के समंदर से ।।

असमानता के इस दौर में 

समानता की लहर बिखेरने ।

आया है यह वायरस का समंदर 

आओ मिलकर लड़े इनसे अंदर ही अंदर।।

क्यों तरसता है क्यों तरसता है

लोगों से मिलने को अंदर ही अंदर।

फिर से सोच विचार कर फिर शुरुआत कर 

जीत होगी तेरी और बन जाएगा तू सिकंदर।।

           

        


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