असमानता
असमानता
वर्षों तक संसार में घूमकर
समानता की धरती को चूम कर
हमने ही इसकी लौह जलाई है
जिसने पूरे संसार को रुलाई है
मानव ने सीमा रेखा खिची
धर्म के बंटवारे में सिंची
रंगों और जाति का भेद अमित रहा
भले ही मानव हर रोज मिट रहा
जीवन में हमने क्या खेल किया
मानव ने मानव को बेमेल किया।।
