दिन का जैसे आभास ही ना हो रोज उठ जाने की कल्पना करते फिर अलसाई आँखों से अंधेरे भविष्य निहा... दिन का जैसे आभास ही ना हो रोज उठ जाने की कल्पना करते फिर अलसाई आँखों से अं...
चाहत थी तो दोनों की पर कभी एक-सी न रही चाहत थी तो दोनों की पर कभी एक-सी न रही
मानव ने सीमा रेखा खिची धर्म के बंटवारे में सिंची मानव ने सीमा रेखा खिची धर्म के बंटवारे में सिंची
बांटना मन सहेलियों संग साथ में परोसते विश्वास एक दूसरे के साथ। बांटना मन सहेलियों संग साथ में परोसते विश्वास एक दूसरे के साथ।