क्या मसर्रत का ,क्या तो दर्दो -ग़म । ज़ायका हर शै का ही खारा था । क्या मसर्रत का ,क्या तो दर्दो -ग़म । ज़ायका हर शै का ही खारा था ।
अचानक सब लौट आए हैं अचानक सब लौट आए हैं
ज़िन्दगी की जुबान पर ज़ायका ला देती है। ज़िन्दगी की जुबान पर ज़ायका ला देती है।