कुछ और बात
कुछ और बात
तुम जिन्दगी में जरा पहले आते तो कुछ और बात होती
तुम्हे जिन्दगी का हिस्सा बना पाते तो कुछ और बात होती
दिल में था जो हमने तो कह डाला
कभी तुम भी दिल खोल कर दिखाते तो कुछ और बात होती
अक्सर तस्वीरों में देखा तुझे मुस्कुराते हुए
कभी रूबरू आकर मुस्कुराते तो कुछ और बात होती
कहते तो सब हैं निभाता है कोई कोई
तुम मेरी वफ़ा पे यकीन कर पाते तो कुछ और बात होती।
हाथों की लकीरों से मात खा गया रूमिन्दर
सिर्फ मेहनत से मकाम मिल जाते तो कुछ और बात होती