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Rominder Thethi

Abstract

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Rominder Thethi

Abstract

कालेज की डिग्रियाँ

कालेज की डिग्रियाँ

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मेरे काम ना आयी कालेज की डिग्रियाँ

मेरे सपनों की तरह मेरे सामने बिखरियाॅऺ

बड़े बड़े अरमान थे

आसमान से आगे मेरे मकाम थे

मुझे साथ ना मिला नसीब का

पा ना सका मंजिल जब मैं करीब था

दोष दूं नसीब को

या ये है मेरी गल्तियां

मेरे काम ना आयी कालेज की डिग्रियाँ


बड़ी शिद्दत से की थी पढ़ाई

पानी की तरह बहा दी माँ बाप की गाढ़ी कमाई

बदले में मिली है बेरोजगारी

मुझे मिल ना सकी नौकरी निजी ना सरकारी

कितने अदारों की खाक मैंने छानी

बोलती है साक्षात्कार की चिट्ठियाँ

मेरे काम ना आयी कालेज की डिग्रियाँ

मेरे सपनों की तरह मेरे सामने बिखरियाॅऺ


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