बसन्त ऋतु
बसन्त ऋतु
चहकते महकते बसन्त आ गया
आज देखो धरा पर गगन भा गया
देख खेतो में झूमती गेहूं की बालिया
आज भौरों का दिल फूलों पर छा गया
पीली चुनर ओढ़े धरा जब खिली
लगती है लगन में बहके मनचली
आम के कुञ्ज से देखो मिठास
सुबह होते ही जैसे हवा चुलबुली
देख बसंत का अदभुत नजारा
लगे सबको बहुत प्यारा प्यारा
आज अमराई देख, मस्त जीव जन्तु
मयूर तान सुन कर लगा बहुत प्यारा।