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Chhabiram YADAV

Abstract Inspirational

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Chhabiram YADAV

Abstract Inspirational

नीर का पीर

नीर का पीर

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नीर के पीर जो न समझे 

ओ मानुष नहीं है भाई

बूँद को जो न बचा सका

जीवन नाहक है भाई


व्यर्थ में जो है नीर बहाया

कौड़ी भर न ध्यान किया

सागर भर पानी है बोले

नाहक ईश , है ज्ञान दिया


पीने के नीर का जतन 

गर इस क्षण न कर पाया

अपने बेटो को कैसे

जीवन देगा तू भाई


 जल पर बिपदा आन पड़ी

उसके ऊपर संकट की घड़ी

बूँद जो नीर की नहीं बचाया

पीर असीम तुम्हे होगा भाई


पल प्रतिपल ही जी पाओगे

नीर है अधीर सुनो भाई

इसके जीवन को बचाओ

नहीं प्यास की तीर सहो भाई।


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